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Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 11 - Njeer Akbrabadi [Poem]

Njeer Akbrabadi Exercise प्रश्न-अभ्यास

Solution 1 - क

पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के निम्न रूपों का बखान करती है -

बादशाह, गरीब व दरिद्र आदमी, मालदार, एकदम कमज़ोर मनुष्य का, स्वादिष्ट भोजन करनेवाले का, सूखी रोटियाँ चबानेवाला मनुष्य का।

Solution 1 - ख

सकारात्मक रूप

नकारात्मक रूप

बादशाह

दीन-दरिद्र

धन-दौलत से मालामाल

कमज़ोर

स्वादिष्ट भोजन पानेवाला

सूखी रोटियाँ चबानेवाला

मस्जिद बनानेवाला

जूतियाँ चुरानेवाला

जान न्योछावर करनेवाला

जान लेनेवाला

इमाम, खुतबाख्वा,पीर

दूसरों के पगड़ी उतारनेवाले

 

कमीने स्वभाववाले

 

Solution 1 - ग

'आदमी नामा' शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर हमारे मन में मनुष्य के प्रति धारणा बनती है कि प्रत्येक मनुष्य स्वभाव से अलग होता है। कोई अति साधन-संपन्न है तो कोई अत्यंत गरीब। मनुष्य अपने व्यवहार से अच्छा-बुरा बनता है। यहाँ पर कुछ लोग निहायती शरीफ़ होते हैं तो कुछ लोग हद दर्जें के कमीने होते हैं। 

 

Solution 1 - घ

पगड़ी भी आदमी को उतारे है आदमी

चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी

और सुनके दौड़ता है सो वो भी आदमी

मुझे यह पंक्तियाँ इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि इन पंक्तियों से एक तो अच्छे-बुरे दोनों तरह के आदमियों का पता चलता है और इससे हमें यह सीख भी मिलती है कि हमें किस तरह का इंसान बनना है।   

Solution 1 - ड.

इस दुनिया में हर एक आदमी की प्रवृत्ति अलग होती है। कुछ लोगों की प्रवृत्ति दूसरों की मदद, भाईचारे की भावना फैलाना, सर्वस्व अर्पित करना होता है। वहीँ दूसरी ओर कुछ लोगों की प्रवृत्ति हिंसात्मक, मुसीबतें बढ़ाने वाली, गलत राह की ओर ले जाने वाली आदि होती है। लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि इस संसार में विरोधाभास पाया जाता है जहाँ एक ओर मनुष्य दूसरों के दुखों का कारण बनता है वही पर दुःख निवारण भी करता है। अत:आदमी में कई तरह की प्रवृत्तियाँ पाई जाती है।

Solution 2 - क

यहाँ पर कवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूपों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि इस संसार में जो बादशाह की हैसियत रखता है वो भी इंसान ही है और जो बिल्कुल गरीब या भिखारी है वो भी आदमी ही है।

Solution 2 - ख

यहाँ पर कवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूपों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि कुछ लोग निहायती शरीफ़ तो कुछ लोग कमीने स्वभाव के होते हैं। बादशाह से लेकर व़जीर तक सब मनमाने काम करनेवाले आदमी ही होते हैं।

Solution 3 - क

यहाँ पर कवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूपों पर व्यंग

करते हुए कहते हैं मस्जिद में नमाज़ पढ़ने और

सुननेवाले सभी आदमी ही होते हैं और इनकी जूतियाँ

चुरानेवाले भी आदमी ही होते है और इन जैसे चोरों पर

नज़र रखनेवाले भी आदमी ही होते हैं अर्थात् एक ही स्थान पर आपको अनगिनत आदमी देखने को मिल जाएँगे। 

Solution 3 - ख

यहाँ पर कवि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूपों पर व्यंग करते हुए कहते हैं वह मनुष्य ही है जो दूसरों के अपमान करने का मौका नहीं छोड़ता वही दूसरी और मदद के किए पुकारनेवाला और उसकी सहायता करनेवाला भी आदमी ही है अर्थात् सभी का स्वभाव और व्यवहार अलग होता है। 

Solution 4

ज़ - ज़मीन, मज़दूर

फ़ - रफ़्तार, फ़रक 

Solution 5

मुहावरे

वाक्य-प्रयोग

टुकडे चबाना

कब तक तुम माँ-पिता के टुकडे चबाते रहोगे, कुछ काम क्यों नहीं करते।

पगड़ी उतारना

तुम्हारी इन्हीं हरकतों के कारण माता-पिता की पगड़ी उतर रही है।

मुरीद होना

मैं गीतकार गुलजार साहब की मुरीद हूँ।

जान वरना

हमारे भारतीय सिपाही देश के लिए जान वरने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

तेग मारना 

राकेश ने अपने भाई को तेग मारकर घायल कर दिया।

 

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