Class 6 NCERT Solutions Hindi Chapter 14 - Lokgeet
Lokgeet Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1
प्रस्तुत निबंध में लोकगीतों का इतिहास, उनकी रचनात्मकता, जनमानस में लोकप्रियता, स्त्रियों का लोकगीतों में योगदान, उनके विभिन्न प्रकार, उनकी भाषा जैसे अनेक बिन्दुओं पर चर्चा की गई है।
Solution 2
हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत सावन में गाए जाने वाले कजरी गीत, त्योहार, विवाह, जन्मोत्सव, प्रेमी-प्रेमिका को छेड़ने वाले छेड़छाड़भरे गीत, पनघट व नदियों के किनारे, खेतों में गाए जाने वाले आदि स्त्रियों के कुछ खास गीत हैं।
Solution 3
लोकगीतों की अपनी कई विशेषताएँ हैं -
• लोकगीतों को सुनने से ही हमें अपने मिट्टी से जुड़ाव का अनुभव होता है।
• लोकगीत हमें गाँव के जीवन से परिचित करवाते हैं।
• इनके साथ बजाए जाने वाले वाद्य यंत्र अत्यंत सरल होते हैं।
• इन गीतों से मन में उत्साह और उमंग का संचार होता है।
• इन गीतों को गाने के लिए किसी विशेष ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।
• ये सरल और सहज गीत होते हैं।
• इनके रचनाकार स्त्री और पुरुष दोनों होते हैं।
Solution 4
कवि विद्यापति बड़े प्रसिद्ध कवि हैं आज भी विद्यापति के गीत पूरब में हमें सुनने के लिए मिलते हैं। परन्तु यहाँ पर कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि अपने-अपने इलाके में जो लोग इस प्रकार के लोकगीतों की रचना करते हैं वे विद्यापति हैं।
Solution 5
लोकगीत और लोक नृत्य गाँवों या कबीलों में ही प्रसिद्ध हैं क्योंकि शहरी जीवन अति व्यस्त होता है। शहर में जगह की भी कमी पाई जाती है परन्तु कुछ खास अवसरों जैसे विवाह, त्योहार, धार्मिक अनुष्ठान आदि पर यहाँ पर भी लोग अपने-अपने गाँवों से लोक कलाकार और लोक नर्तकों को बुलाते हैं।
Solution 6
अब गाँव भी शहरीकरण से अछूते नहीं रह गए हैं। सिनेमा, घर-घर टेलीविजन, मनोरंजन के सस्ते साधन उपलब्ध हो जाने के कारण भी अब लोकगीत कम होते जा रहे हैं।
Lokgeet Exercise भाषा की बात
Solution 1
लोकप्रिय - मुंबई सिनेमाजगत से जुड़ी हस्तियों के लिए लोकप्रिय है।
लोकमंच - लोकमंच कलाकारों को अपनी कला दिखाने के लिए उपयुक्त माध्यम है।
लोकवाद्य - लोकवाद्यों की महत्ता अब कम होती जा रही है।
लोकहित - नेताओं को लोकहितों को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनानी चाहिए।
लोकतंत्र - भारत के अलावा भी कई अन्य देशों में लोकतंत्र है।
Solution 2
इकतारा - एक तार से बजने वाला वाद्य
सरपंच - पंचों का प्रमुख
चारपाई - चार पैरों वाली
सप्तर्षि - सात ऋषियों का समूह
अठन्नी - पचास पैसे का सिक्का
तिराहा - तीन रास्ते जहाँ मिलते हो
दोपहर - जब दिन के दो पहर मिलते हो
छमाही - छः महीने में होनेवाला
नवरात्र - नौ रातों का समूह
Solution 3
तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे से बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने पर एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है। राजस्थान में इसे बर्गू कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी मध्यप्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचलप्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।