Class 7 NCERT Solutions Hindi Chapter 14 - Khanpaan Ki Badalti Tasveer
Khanpaan Ki Badalti Tasveer Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य सभी प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। यहाँ पर लेखक यह कहना चाहते हैं कि आज एक ही घर में हमें कई प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं। लोगों ने उद्योग धंधों, नौकरियों व तबादलों व अपनी पसंद के आधार पर एक दूसरे प्रांत की खाने की चीज़ों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है।
मेरा घर कोलकत्ता में है। मैं बंगाली परिवार से हूँ। हमारा मुख्य भोजन चावल और मछली है, लेकिन हमारे घर में चावल और मछली के अलावा दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली, सांभर, डोसा आदि और पाश्चात्य भोजन बर्गर व नूडल्स भी पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम बाज़ार से न लाकर इन्हें अपने ही घर में बनाते हैं।
Solution 2
खानपान में बदलाव से निम्न फायदे हैं -
1.भिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों को जानने और समझने का मौका मिलना।
2. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलना।
3. अलग-अलग प्रकार के भोजन खाने में मिलने के कारण खाने में रूचि बने रहना।
4. देश-विदेश के व्यंजन मालूम होना।
5. गृहिणियों व कामकाजी महिलाओं को जल्दी तैयार होनेवाले विविध व्यंजनों की विधियाँ उपलब्ध होना।
6. स्वाद, स्वास्थ्य व सरसता के आधार पर भोजन का चयन कर पाना।
7. समय की बचत होना।
खानपान में बदलाव आने से होनेवाले फायदों के बावजूद लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित है क्योंकि उसका मानना है कि आज खानपान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे हैं जो निम्न रूप से हैं -
1. स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे नई पीढ़ी स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानती ही नहीं है।
2. खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।
3. कुछ व्यंजनों का स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित न होना।
Solution 3
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था। खानपान की मिश्रित संस्कृति के आने के कारण अब लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प मिल गए हैं कि अब स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
Solution 4
घर में बननेवाली |
बाज़ार से आनेवाली |
माता-पिता के घर बचपन में बननेवाली |
भात |
समोसा |
समोसे |
दाल |
कचौड़ी |
कचौड़ी |
सब्जियाँ |
जलेबियाँ |
जलेबियाँ |
पूरी, रोटी, पराठे |
नुडल्स |
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मछली |
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मीठे व्यंजन |
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Solution 5
भोजन |
कैसे पकाया |
स्वाद |
दाल |
उबालना |
नमकीन |
भात |
उबालना |
मीठा |
रोटी |
सेंकना |
मीठा |
पापड़ |
सेंकना |
नमकीन |
आलू |
उबालना |
मीठा |
बैंगन |
भूनना |
कसैला |
Khanpaan Ki Badalti Tasveer Exercise भाषा की बात
Solution 1
शब्द |
वाक्य |
सीना-पिरोना |
आजकल सीना-पिरोना सभी को आना चाहिए। |
भला-बुरा |
तुमने कमल को कल बहुत भला-बुरा कह दिया। |
चलना-फिरना |
वृद्ध होने के कारण नानाजी का चलना-फिरना कम हो गया है। |
लंबा-चौड़ा |
इतना लंबा-चौड़ा बिजली का बिल देखकर मैं हैरान रह गई। |
कहा-सुनी |
घर में रोज की कहा-सुनी अच्छी बात नहीं है। |
घास-फूस |
गाँव के घरों की छत घास-फूस की होती है। |