Class 6 NCERT Solutions Hindi Chapter 11 - Jo Dhekhkar bhi Nahi Dekhte
Jo Dhekhkar bhi Nahi Dekhte Exercise प्रश्न-अभ्यास
Solution 1
एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई थी। जब वह वापस लौटी तो हेलेन केलर ने उससे जंगल के बारे में जानना चाहा तो उसकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ खास नहीं तब उस समय हेलेन केलर को लगा कि सचमुच जिनके पास आँखें होती है वे बहुत ही कम देखते हैं।
Solution 2
प्रकृति के अनमोल खजाने को, उसके अनमोल सौंदर्य और उसमें होने वाले नित्य-प्रतिदिन बदलाव को 'प्रकृति का जादू' कहा गया है।
Solution 3
एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई थी।जब वह वापस लौटी तो हेलेन केलर ने उससे जंगल के बारे में जानना चाहा तब उसकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ खास नहीं।
यह सुनकर हेलेन केलर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि लोग कैसे आँखें होकर भी नहीं देखते हैं क्योंकि वे तो आँखें न होने के बावजूद भी प्रकृति की बहुत सारी चीज़ों को केवल स्पर्श से ही महसूस कर लेती हैं।
Solution 4
हेलन केलर भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी। वसंत के दौरान वे टहनियों में नयी कलियाँ, फूलों की पंखुडियों की मखमली सतह और उनकी घुमावदार बनावट को भी वे छूकर पहचान लेती थीं। चिडिया के मधुर स्वर को वे सुनकर जान लेती थीं।
Solution 5
दृष्टि हमारे शरीर का कोई साधारण अंग नहीं है बल्कि यह तो ईश्वर प्रदत्त नियामत है। इसके जरिए हम प्रकृति निर्मित और मानव निर्मित हर एक वस्तु का आनंद उठा सकते हैं। ईश्वर के इस अनमोल तोहफ़े से हम अपना जीवन खुशियों से भर सकते हैं। अत: हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होते हुए इसकी कद्र भी करनी चाहिए।
Solution 6
रोज की तरह आज भी मैं पैदल ही अपने घर जा रही थी। विद्यालय के फाटक से बाहर निकलते ही मुझे बाहर बैठने वाले खोमचें वालों की बच्चों को अपने सामान की ओर आकर्षित करने वाली आवाज़ें सुनाईं पड़ीं। आगे बढ़ने पर रास्ते पर कार, साइकिलें, रिक्शा बस की एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई पड़ी। उनसे बचकर जब मैं आगे मुड़कर मेरे घर की ओर जाने वाली शांत सड़क पर निकली तो मुझे सड़क के दोनों ओर लगे गुलमोहर, अशोक और आम के पेड़ों के झूमने से ठंडी हवाओं का स्पर्श महसूस हुआ। इन्हीं पेड़ों पर कुछ नन्हीं गिलहरियाँ भी रहती हैं जो सर्र से नीचे-ऊपर कर रही थी। थोड़े समय तक में इनकी इस क्रीड़ा में खो सी गई परन्तु फिर माँ का ध्यान आते ही मैं दौड़कर घर की ओर चल पड़ी।
Solution 7
ईश्वर प्रदत्त शारीरिक अंगों में कान भी शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इसके काम न करने पर हमें बाहरी दुनिया बड़ी ही अजीब सी लगती होगी। हमारे लिए विचारों का आदान-प्रदान करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि हम न तो किसी की बात समझ पाएँगें और ना ही किसी को अपनी बात समझा पाएँगें।
Solution 8
अखरोट का खुरदुरापन, फूलों को छूने से उनका मखमली अहसास, घास को छूने से होने वाला नरम अहसास।
Solution 9
सुनना (कान) |
चखना (जीभ) |
सूँघना (नाक) |
छूना (त्वचा) |
कर्कश ध्वनियाँ - कुछ पशु-प्राणियों की आवाज़ें |
मिठास-फल, मिठाई |
सुगंध - इत्र, फूलों की खुशबू, खाद्य पदार्थ |
गर्म - दूध, चाय या अन्य पेय पदार्थ |
मधुर-ध्वनियाँ -कोयल की बोली, पक्षियों की चहचहाट, गीत और संगीत के मधुर स्वर |
कटु स्वाद - करेला, दवाईंयाँ |
दुर्गंध - गंदा नाला |
ठंडा - बर्फ, शरबत |
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तीखा, नमकीन स्वाद - मिर्च, नमक, सब्जी |
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मुलायम - फूलों की पंखुड़ियाँ |
Solution 10
मुझे यदि किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले तो मैं उससे यही जानना चाहूँगा कि वे किस प्रकार से दिन और रात का आभास करते हैं? प्रकृति और रंगों के बारे में उनकी कल्पना कैसी होती है? जब वे किसी वस्तु को छूते हैं तो वे किस प्रकार से उसकी आकृति बनाते हैं?
Jo Dhekhkar bhi Nahi Dekhte Exercise भाषा की बात
Solution 1
चिकना - घी
चिपचिपा - गोंद
मुलायम - रेशमी कपड़ा
खुरदरा - कपड़ा
लिजलिजा - शहद
ऊबड़-खाबड़ - पेड़ का तना
सख्त - पत्थर
भुरभुरा - रेत
Solution 2
क्रिया से बनी भाववाचक संज्ञा |
विशेषण से बनी भाववाचक संज्ञा |
जातिवाचक संज्ञा से बनी भाव वाचक संज्ञा |
भाववाचक संज्ञा |
घबराना से घबराहट |
बूढ़ा से बुढ़ापा |
मजदूर से मजदूरी |
क्रोध और फुर्ती शब्द भाववाचक संज्ञा शब्द हैं। |
बहाना से बहाव |
ताजा से ताजगी |
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भूखा से भूख |
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शांत से शांति |
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मीठा से मिठास |
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भोला से भोलापन |
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Solution 3
अवधि - दो सप्ताह की अवधि इतने बड़े कार्यक्रम के लिए कम है। अवधी - कवि तुलसीदास अपनी रचना अवधी में करते थे। |
में - कटोरी में खीर है। मैं - मैं तो आज मेले जा रहा हूँ। |
मेल - इस गाँव के किसानों में बड़ा मेल है। मैला - यह कपड़ा कितना मैला है। |
ओर - नदी के दोनों ओर हरे-भरे वृक्ष लहरा रहे थे। और - नीरज और नीरव सगे भाई हैं। |
दिन - इस कार्य को तुम दिन में ही समाप्त कर लेना। दीन - दीन व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए। |
सिल - सिल पर पीसे मसालों का स्वाद बढ़िया होता है। सील - इस लिफ़ाफे की सील खोल दो। |